भारत चीन गलवान विवाद

भारत चीन गलवान घाटी विवाद


गलवान घाटी में लगभग पाँच हफ्तों से विवाद चल रहा है जिसने जल्दी ही हिंसक रूप ले लिया । पिछले 45 सालों में पहली बार इस तरह की घटना हुई। 

गलवान घाटी का इतिहास


इस घाटी का नाम एक साहसी लद्दाखी explorer गुलाम रसूल गलवान के नाम पर पङा । गुलाम रसूल गलवान ने गलवान घाटी की खोज की थी। 1895 में 12 साल की उम्र में गलवान ने अंग्रेजों के साथ ट्रैकिंग शुरू की थी। बाद में उन्हीं के नाम पर इस घाटी का नाम गलवान रख दिया गया। 

गलवान घाटी कहाँ है


 गलवान घाटी 17000 फीट की ऊँचाई पर extreme जलवायु वाला क्षेत्र है। 80 किमी गलवान नदी इस घाटी से होकर गुजरती है। यही नदी 1960 में Line of Actual Control (LAC) मानी गई। गलवान घाटी Askai chin से भारत का direct access point है।

भारत चीन गलवान घाटी मतभेद

गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच मतभेद का मुख्य कारण भारत का अपने क्षेत्र में निर्माण कार्य करवाना है। 

भारत LAC के 10 किमी अंदर की तरफ 224 किमी लंबी श्योक दौलत बेग ओल्डी सङक का निर्माण कर रहा है जो feeder roads का network है। दौलत बेग ओल्डी लद्दाख का सबसे उत्तरी भाग है। 


यहाँ दौलत बेग ओल्डी नामक हवाई पट्टी भी बनाई गई है। भारतीय वायुसेना ने अपना C17 Globemaster Aircraft यहीं उतारा था। 
यदि युद्ध की स्थिति आती है तो भारत अब अपने हजारों सैनिक दलों को आसानी से वहां भेज सकता है। 

चीन का डर और ज्यादा बढ गया जब भारत ने श्योक नदी के ऊपर Colonel Chewang Rincher Setu नामक पुल बनाया। यह पुल भारतीय सेना की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए बनाया गया था। 
इससे पहले कि चीन इसको हजम कर पाता, भारत ने Galwal Nullah पर एक और पुल बनाना शुरू कर दिया। यह पुल भी feeder road project  का हिस्सा है। लकङी के पुल को हटाकर यह मजबूत पुल बनाया जा रहा है जिससे भारी सैन्य दल आसानी से जा सकें। 

बेचैन चीन ने LAC  पर निर्माण कार्य को रोकने को लेकर भारत पर दबाब बनाना शुरू कर दिया और अपनी सेना भेजी। 

चीन क्यों बौखलाया
चीन को सबसे बङा डर यह था कि कहीं भारत Askai Chin को चीन से वापस ना ले ले जो चीन ने 1962 में भारत से युद्ध में छीन ली थी। 1962 में भी गलवान बहुत बङा flashpoint था। अब वह फिर से चर्चा में बना हुआ है।

निष्कर्ष
भारत के पास इस क्षेत्र में रणनीति से संबन्धित बहुत से लाभ हैं। भारतीय सीमा भी पूरी तरह से सुरक्षित है। भारत सीमा पर अपने क्षेत्र में  infrastructure को भी बढावा दे रहा है। इसका एकमात्र लक्ष्य भारतीय सेनाओं को दूरगामी स्थानों तक सुविधाजनक आवाजाही है। चीन के विरोध का मुख्य कारण यही है क्योंकि अब चीन के लिये सीमा उल्लंघन करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

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